Maha Shivratri 2022: पुरानी कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कई चीज़ें निकली थीं जिसमें से सबसे पहला था विष। जिसे देवताओं से लेकर असुरों तक ने ग्रहण करने से मना कर दिया था। यह विष ऐसा था जिससे पूरे ब्रम्हाण्ड का नाश हो सकता था तब भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने इस विष को अपने में समाहित कर लिया। विष ग्रहण करने से उनका कंठ नीला पड़ गया था इसी वजह से उन्हें नीलकंठ नाम से भी पुकारा जाता है। इस हलाहल के ताप और असर को सहन करने की क्षमता बस भगवान शिव में ही थी। लेकिन इसका ताप इतना तेज था की उनका शरीर जलने लगा।
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इसलिए किया जाता है दूध से अभिषेक(Maha Shivratri 2022)
तेजी से फैलते इस विष का प्रभाव भगवान शिव के शरीर के साथ उनकी जटाओं में विराजमान मां गंगा पर भी पड़ने लगा। उनका शीतल जल भी इससे प्रभावित होने लगा। तब वहां मौजूद देवताओं ने भगवान शिव को दूध ग्रहण करने के साथ जलाभिषेक करने का आग्रह किया जिससे विष का असर कम हो सके। तब जाकर उन्होंने दूध ग्रहण किया और इसी से अभिषेक भी किया।
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रुद्राभिषेक कैसे हुआ आरंभ?(Maha Shivratri 2022)
महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) के मौके पर कई लोग रुद्राभिषेक करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रम्हाजी की उत्पत्ति हुई। ब्रम्हाजी जब विष्णु भगवान के पास अपने जन्म का कारण पूछने गए तो उन्होंने ब्रम्हा जी की उत्पत्ति का रहस्य बताया। साथ ही यह भी बताया कि उनके कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है, लेकिन ब्रम्हाजी मानने को तैयार नहीं हुए और दोनों में खतरनाक लड़ाई हुई। इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए, इस लिंग का आदि और अंत जब ब्रम्हा और विष्णु जी को कहीं नहीं पता चला तो हर मान ली और लिंग का अभिषेक किया। जिससे भगवान खुश हुए, कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक आरंभ हुआ।
(Maha Shivratri 2022)
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