Pitru Paksha 2023: सनातन धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का विशेष महत्व है। गरुड़ पुराण में वर्णित है कि अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तिथि तक पितृ धरती लोक पर आते हैं।
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पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2023) की सप्तमी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन पितरों को तर्पण किया जाता है। साथ ही श्राद्ध कर्म किया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो पितृ पक्ष की सप्तमी तिथि पर दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में पितरों की पूजा करने से व्यक्ति को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आइए, पितृ पक्ष की सप्तमी तिथि के शुभ योग और पंचांग जानते हैं-
शुभ मुहूर्त (Pitru Paksha 2023)
पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 06 अक्टूबर को सुबह तक है। इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं।
जानें-पंचांग और तर्पण का सही समय
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रवि योग
पितृ पक्ष की सप्तमी तिथि पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। रवि योग पूजा-पाठ के लिए शुभ होता है। साथ ही शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है। इस दौरान पितरों को तर्पण करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है।
वरीयान योग
पितृ पक्ष के सातवें दिन वरीयान योग का भी निर्माण हो रहा है। वरीयान योग 6 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक है। ज्योतिष वरीयान योग को पूजा-पाठ समेत शुभ कार्यों के लिए उत्तम मानते हैं।
भद्रावास
पितृ पक्ष की सप्तमी तिथि पर दुर्लभ ‘भद्रावास’ का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 06 बजकर 02 मिनट तक है। धार्मिक मान्यता है कि जब भद्रा स्वर्ग में रहती है, तो समस्त मानव जगत का कल्याण होता है। अत: पितृ पक्ष की सप्तमी तिथि बेहद शुभ है।
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करण
पितृ पक्ष की षष्ठी तिथि पर संध्याकाल 06 बजकर 02 मिनट तक विष्टि करण का निर्माण हो रहा है। इसके पश्चात, बव करण रात्रि भर है। बव करण शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
रुद्राभिषेक
पितृ पक्ष की सपत्मी तिथि पर रुद्राभिषेक हेतु शुभ योग नहीं है। अत: रुद्राभिषेक न करें। इस दिन भगवान शिव श्मशान में रहेंगे। इस दौरान रुद्राभिषेक न करने की सलाह दी जाती है।
पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 38 मिनट से 05 बजकर 27 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से 02 बजकर 54 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 03 मिनट से 06 बजकर 27 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक
अमृत काल – सुबह 10 बजकर 26 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक
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अशुभ समय
राहुकाल – दोपहर 01 बजकर 38 मिनट से 03 बजकर 06 मिनट तक
गुलिक काल – सुबह 09 बजकर 13 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक
दिशा शूल – दक्षिण
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 16 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 03 मिनट पर
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