यदि पहली पत्नी की मर्जी के खिलाफ पति के साथ रहने को बाध्य करती है तो यह महिला के गरिमामय जीवन तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता के सांविधानिक अधिकार का उल्लघंन होगा। कोर्ट ने कुरान की सूरा चार आयत तीन के हवाले से कहा, यदि मुस्लिम अपनी पत्नी तथा बच्चों की सही देखभाल करने में सक्षम नहीं है तो उसे दूसरी शादी करने की इजाजत नहीं होगी।